आरएसएस: समर्पण, सेवा और राष्ट्रवाद की भावना

आरएसएस: समर्पण, सेवा और राष्ट्रवाद की भावना

महात्मा गांधी ने कहा था, "अपने आप को बदलो और दुनिया को बदलो"। इसी सोच के साथ डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS संघ) की स्थापना की। इस संगठन के गठन का मुख्य उद्देश्य था देश के समस्त जनता को एकता और एकत्रित करना था। आज भारत का यह संगठन देश में सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली संगठन है।

RSS संघ भारतीय संस्कृति, दर्शन और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है। इस संगठन के सदस्यों का उद्देश्य होता है देश के समस्त लोगों के साथ मिलकर काम करना और देश की तरक्की में अपना योगदान देना। यह संगठन भारतीय जनता को अपनी संस्कृति और धर्म के प्रति जागरूक करता है और देश को अधिक समृद्ध बनाने में मदद करता है।

इस संगठन के सदस्य अपने आप को एक सेवक के रूप में देखते हैं जो देश के समस्त लोगों के लिए काम करता है। इस संगठन में सदस्यों को शिक्षा, धर्म, संस्कृति और सेवा के माध्यम से देश के विकास में अपना योगदान देने का संकल्प लिया जाता है। इस संगठन में सदस्यों को एक संस्कृत और आदर्शवादी जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस संगठन के सदस्य अपने आप को शिक्षा देते हैं और सभी लोगों के लिए सेवा करते हुए उन्हें सकारात्मक रूप से प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।

RSS संघ के सदस्य भारतीय संस्कृति को जीवंत रखने के लिए अनेक कार्यक्रम और अभियान आयोजित करते हैं। यह संगठन समाज के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। इस संगठन के सदस्य अपने आप को सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए समर्पित करते हैं। वे लोगों के साथ मिलकर न्याय के लिए लड़ते हैं और समाज के विकास के लिए अपना सबसे अच्छा योगदान देते हैं।

इस संगठन के सदस्य राष्ट्रीय एकता और धर्मीय संवेदनशीलता के पक्ष में होते हैं। वे लोगों के लिए धर्म, जाति या आय से अलग नहीं होते हैं। RSS संघ का मुख्य उद्देश्य भारत के संस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित रखना है। यह संगठन धर्म, संस्कृति, और भारतीय संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए कई शिक्षाओं और अभियानों का आयोजन करता है।

इस संगठन में सदस्यों को व्यक्तिगत तौर पर नेतृत्व के गुणों का विकास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। वे लोगों के समूहों के अनुभवों से सीखते हैं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। इस संगठन के सदस्य सदा खुशहाल और सकारात्मक रहने का प्रयास करते हैं।

इस संगठन के सदस्य देश के लिए जीवन की परिभाषा को समझते हैं। वे देश की सेवा करने के लिए तैयार होते हैं और अपनी समाज सेवा के लिए समय निकालते हैं। इस संगठन में सदस्यों को स्वयं को निरंतर सुधारने का अवसर मिलता है।

इस संगठन का महत्वपूर्ण अंग संस्कृतिक एवं वैदिक ज्ञान है। इस संगठन के सदस्य अपने संघ के लिए संस्कृत भाषा का उपयोग करते हैं और अपने आसपास के लोगों को इस भाषा के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करते हैं। संघ के सदस्यों को संस्कृत भाषा में शिक्षा और शोध के लिए सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं।

RSS संघ का अन्य उद्देश्य हैं संघीयता, राष्ट्रवाद, राष्ट्र सेवा, स्वयंसेवा, वैश्विक समरसता, राष्ट्रीय एकता, और आत्मनिर्भरता को बढ़ाना। इस संगठन के सदस्य देश के लिए अपना सबसे अच्छा देने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। वे समाज में न्याय के लिए लड़ते हैं, दुर्भाग्यपूर्ण लोगों की मदद करते हैं, और विभिन्न अभियानों के माध्यम से समाज सेवा करते हैं

RSS संघ देश के विकास और समृद्धि के लिए अपना योगदान देता है। यह संगठन अपने सदस्यों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है और देश के लिए सकारात्मक उद्यमों का समर्थन करता है। इस संगठन के द्वारा देश के लोगों के बीच राष्ट्रीय एकता और समरसता को बढ़ावा मिलता  है।

अंततः, RSS घ भारत की एक महत्वपूर्ण संगठन है, जो अपने सदस्यों को समर्पण, सेवा और राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित करता है। इस संगठन के सदस्य अपने जीवन को समृद्ध, सकारात्मक और देशहित में उपयोगी बनाने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। उन्होंने अपने आसपास के लोगों को संस्कृत भाषा और धर्म के महत्व के बारे में जागरूक करने की कोशिश की है।

इस संगठन के द्वारा समाज में न्याय के लिए लड़ाई लड़ी जाती है, दुर्भाग्यपूर्ण लोगों की मदद की जाती है और समाज के लिए विभिन्न अभियान चलाए जाते हैं। यह संगठन देश के विकास और समृद्धि के लिए अपना योगदान देता है और देश के लोगों के बीच राष्ट्रीय एकता और समरसता को बढ़ावा मिलता है

यह संगठन अपनी अनूठी पहचान के लिए जाना जाता है जिसमें सदस्यों को समर्पण, सेवा और राष्ट्रवाद की भावना दी जाती है। ।

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